“आज हम इंजीनियरिंग के एक ऐसे हैरतअंगेज़ नमूने
को क़ौम और मुल्क के नाम वक्फ़ करने जा रहे हैं जिसे रेलवे के तकनीकी माहिरीन और कारकुनान ने अज़ीमतरीन हिमालय से तराशा है। यह
बिलाशुबह एक बहुत बड़ा यादगार मौका है।
जम्मू-ऊधमपुर-कटरा-काज़ीगुण्ड-श्रीनगर-बारामूला रेल
राब्ता, एक क़ौमी ख़्वाब है। आपमें से कुछ लोग
जानते हैं कि ये ख़्वाब किसी और ने नहीं बल्कि महाराजा प्रताप सिंह ने आज से बहुत साल
पहले 1898 में देखा था। तब से यह ख़्वाब तमाम दुश्वारियों के
रास्ते से गुज़रा है। इस हकीकत के बावजूद कि इस राब्ते के लिए एक प्रोजेक्ट को आज से
काफी पहले यानी 1905 में ही मंजूरी मिल गई थी, इसे अमलीजामा अभी तक नहीं पहनाया जा सका। मुल्क की तकसीम के बाद जम्मू भी बक़िया
भारतीय रेलवे नेटवर्क से कटकर रह गया था। 1971
में जम्मू को तो भारतीय रेलवे के बाकी नेटवर्क से एक
ब्रॉडगेज लाइन के ज़रिए पठानकोट के रास्ते से जोड़ा था, ये श्रीमती
इंदिरा गांधी का एक सपना था जो उन्होंने पूरा किया लेकिन, जम्मू
के शुमाल की जानिब की लाइन पर कोई पेशरफ्त नहीं हो सकी।
आख़िरकार श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने इस बेहद अहम लाइन
पर 1983 में काम शुरू करवाया। हम तब से अब तक
एक लम्बा सफर तय कर चुके हैं और मुझे बहुत खुशी है कि हमारे पुराने ख़्वाब को अमलीजामा
पहनाने का काम बहुत अच्छे ढंग से तकमील की तरफ आगे बढ़ रहा है। इस अहम और बिलाशुबह
खूबसूरत रेलवे प्रोजेक्ट के बहुत से हिस्से मुकम्मल हो चुके हैं। मैं बज़ाते खुद सन्
2005 में इस रेलवे राब्ता के जम्मू-ऊधमपुर हिस्से के इफ्तेताह से वाबिस्ता रहा हूं। बादअजां 2008 में अनन्तनाग और माज़होम के दरम्यान रेल राब्ता कायम हो गया।
माज़होम-बारामूला
सेक्शन 2009 में मुकम्मल हुआ और इसके बाद काज़ीगुण्ड-बारामूला
के दरम्यान 119 किलोमीटर तवील रेलवे लाइन बिछाई गई।
आज शुरू हो रहे बनिहाल-काज़ीगुण्ड
रेल राब्ते को पाय-ए-तकमील तक पहुंचाने में तमाम लोगों ने दुश्वार गुज़ार जुग़राफियाई हालात और
बरअक्स मौसम की चुनौतियां का सामने करते हुए जबरदस्त जद्दोजहद की है। पीरपंजाल में 11 किलोमीटर तवील सुरंग, जो भारत में सबसे तवील सुरंग है, को मुकम्मल
करने में 7 बरस लगे। ये सिर्फ इंजीनियरिंग का एक हैरतअंगेज नमूना
ही नहीं है बल्कि इसकी अहमियत कहीं ज़्यादा है। पूरे साल राब्ते की सहूलत वादी-ए-कश्मीर के लोगों को बाकी हिन्दुस्तान में होने वाली
इक़्तेसादी तरक्की से वाबिस्ता करके उन्हें बहुत फायदा पहुंचाएगी। राब्ते की ये सहूलत
जम्मू-कश्मीर में रूनुमा होने वाली इक़्तेसादी पेशरफ्त को हिन्दुस्तान
की तरक्की का एक अटूट हिस्सा बना सकेगी। ये राब्ते खुशहाली और रोज़गार फराहिम कराएगा।
जम्मू व कश्मीर में बनने वाले साज़ोसामान और चीज़ें मुल्क के बाकी हिस्से में पहुंचेंगी
और इसी तरह मुल्क के दीग़र हिस्सों में बनने वाले साजोसामान यहां लाए जा सकेंगे। आम
लोगों के आने-जाने, मुताल्या और तिजारत
का सिलसिला जोर पकड़ेगा। मुल्क की इस सबसे खूबसूरत रियासत में सैयाहत को और बढ़ावा
मिलेगा जिसके नतीजे में रोज़गार और रोजी रोटी को भी फरोग़ हासिल होगा। अब वादी-ए-कश्मीर के दोनों जानिब के अवाम् को पूरे साल बाहम जोड़े
रखने वाला एक किफायती ज़रिया कायम हो जाएगा।
वादी-ए-कश्मीर की रेलवे लाइन अभी तक एक जज़ीरे की तरह है। जैसे-जैसे यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ेगा, हम इस लाइन को
हिन्दुस्तान के बाकी नेटवर्क से जोड़ते जाएंगे। कटरा-ऊधमपुर सेक्शन
पर काम चंद महीनों में मुकम्मल हो जाएगा और इसके बाद सिर्फ ऊधमपुर और बनिहाल के दरम्यान
के हिस्से पर काम बाकी रहेगा, जो सबसे चुनौती भरा है। 359
मीटर ऊंचा चिनाब पुल दुनिया में मेहराबदार रेलवे पुलों में सबसे बुलंदतरीन
रेलवे पुल होगा। मैं महकमा-ए-रेलवे से कहना
चाहता हूं कि वो इस हिस्से के काम को जितनी जल्दी मुमकिन हो सके मुकम्मल करने की भरपूर
कोशिश करें ताकि हम वादी-ए-कश्मीर को मुल्क
के बाकी हिस्सों से हर मौसम में इस्तेमाल के लायक आमदोरफ्त के निज़ाम से जोड़ सकें।
जिस रेल राब्ते का आज इक़तेताह किया जा रहा है वो जम्मू-कश्मीर की
तरक्की के लिए मरकज़ी यूपीए हुकूमत की कोशिशों का एक हिस्सा है। आपको याद होगा कि 2004
में जब मैं यहां दौरे पर आया था, तो मैंने जम्मू-कश्मीर के लिए तामीर-ए-नो के एक
मंसूबे का ऐलान किया था। मुझे आपको इत्तला देते हुए खास मसर्रत हो रही है कि तामीर-ए-नो के इस मंसूबे में शामिल 67 प्रोजेक्टों में से, 34 मुकम्मल हो चुके हैं और बकिया
के निफाज़ के सिलसिले में अच्छी पेशरफ्त हो रही है। इस सिलसिले में 7215 करोड़ रुपए की रकम जारी की गई है। मुकम्मल किए गए चंद अहम प्रोजेक्टों में,
रियासत में 1 हजार Micro
Hydro-Electric प्रोजेक्टों का कयाम, ख़ानाबल-पहलगांव और नरबल-तंगमर्ग सड़कों की तामीर, 14
नए डिग्री कालेजों का आग़ाज़, 9 नए आई टीआई इदारों
का कयाम, श्रीनगर हवाई अड्डे पर मुसाफिर और बुनियादी ढांचे की
जदीद सहूलतों की फराहमी और इस हवाई अड्डे को एक International हवाई अड्डे की शक्ल देना, रियासती पुलिस में 5
इज़ाफी India Reserve Battalions का कयाम,
बारह Toursim Development Authorities का कयाम
वगैरह शामिल हैं।
इसके अलावा, तकरीबन 1 हजार करोड़ रुपए की लागत के प्रोजेक्ट, जम्मू और लद्दाख
खित्तों की खुसूसी ज़रूरियात पूरी करने के लिए, लागू किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर के नौज़वानों को हुनरमंदी की तरबियत देने और उन्हें
मुफीद रोज़गार फराहम कराने के लिए लागू की जा रही हिमायत और उड़ान स्कीमों के हौसला
अफज़ा नतीजे सामने आने लगे हैं। जम्मू कश्मीर में खुसूसी वज़ीफे की स्कीम रियासत के
नौज़वानों की हौसला अफज़ाई करने के साथ उन्हें इस काबिल बना रही है कि वो मुल्क के
दीगर हिस्सों में दस्तयाब तालीमी सहूलतों का फायदा हासिल कर सकें।
मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूं किहिन्दुस्तान की मरकजी
सरकार जम्मू और कश्मीर के Development को आगे बढ़ाने के लिए हर तरफ से तआवन
देगी। आख़िर में, मैं भारतीय रेलवे को इस बहुत मुश्किल काम को
कामयाबी से मुकम्मल करने के लिए दिली मुबारक़बाद पेश करता हूं। साथ ही साथ मैं जम्मू
और कश्मीर के अवाम को भी इस मौके पर मुबारकबाद देता हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि काम
के बाकी हिस्से को तयशुदा निशानों के तहत जल्द अज जल्द मुकम्मल किया जाएगा। ताकि जम्मू
और कश्मीर के अवाम् साल के बारह महीनों के दौरान मौसम के बरखिलाफ होने के ख़तरे से
बेनियाज़ होकर इस रेल राब्ते से मुस्तफीद हो सकें।”
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